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पिता दिवस - फादर्स डे लेक - Father’s Day- Hindi Article- Happy Father Day- Best Wishes- Gold Poem

पिता दिवस पितृ दिवस पितृत्व का सम्मान करने का दिन है, साथ ही साथ समाज में पिता के प्रभाव का भी। यह 1910 में पहली बार जून के तीसरे रविवार को मनाया गया है। यह दुनिया भर के कई हिस्सों में विभिन्न दिनों में भी आयोजित किया जाता है, अक्सर मार्च, मई और जून के महीनों में। पिता के दिन के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय पुरुषों का दिवस 19 नवंबर को कई देशों में लड़कों सहित पुरुषों के सम्मान में मनाया जाता है। फेयरमोंट के सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च में वेस्ट वर्जीनिया के डॉ। रॉबर्ट वेब द्वारा 5 जुलाई, 1908 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया था। बाद में, श्रीमती सोनोरा स्मार्ट डोड ने 1909 में चर्च में मातृ दिवस के उपदेश को सुनते हुए अपने पिता के लिए एक समान उत्सव मनाने के बारे में सोचा। उसके पिता, हेनरी जैक्सन स्मार्ट, ने उसकी माँ की मृत्यु के बाद उसकी परवरिश की थी। इस दिन लोग अपने पिता के लिए उपहार खरीदते हैं या उनके साथ विशेष चीजों का व्यवहार करते हैं जैसे कि फैंसी रेस्तरां में रात का खाना या विदेश में छुट्टी का प्रायोजन। लोग फादर्स डे पर गुलाब खरीदते हैं, पिता के लिए लाल रंग जो ...

Pehli mohabbat - Hindi Kavita - Love Poetry - Pehla pyaar - Hindi poem - Gold Poem

Pehli mohabbat Pehli mohabbat आज मुलाकात हुई मेरी फिर उससे,ताजे हो गये साथ के सारे वो किस्से... उसने भी मुरकर देखा मुझे जैसे मैं उसे देखती रही,किसके साथ होगा ये अब,मैं मन ही मन  सोचती रही... मजबूरी ही थी जाने की वजह नहीं तो वो बरे जिगर का था.. उसकी खूश्बू कमरे तक आती थी जब भी वो गलियों से गुजरता था हाथ पीले थे मेरे फिर भी मैं उससे मिलने गई थी,गलत नहीं था वो पर मैं भी अपने जगह बहुत सही थी... उस दिन वो मेरे सारे जज्बात एक झोले में समेट कर लाया था जब वो मुझ्से मिलने मेरे शादी के दिन आखिरी बार आया था.... फिर खतों को मेरे हाथ में रख बता दिया की वो इस दुनिया से ना लर पाया .... जिगर वाला तो बहुत था बस मुझ्से मोहब्बत ही ना पूरी कर पाया... कहता था मजबूरी है,मजबूरी है,पर कभी उसने वो मजबूरी बताया ही नहीं,कहता था शादी के बाद हमलोग दोस्त तो रह ही सकते हैं,मैं इंतेज़ार करता रहा पर वो कभी लौट के आया ही नहीं उसके आंखों से उस दिन आंसू रुक नहीं रहे थे पर खुद्के चेहरे पर रुमाल बांधकर बचा रहा था सच मुच हिम्मत वाला था... वो,उसके सामने देखता रहा जब कोई और मेरी मांग को सजा रहा...

Man ki gutthi - Hindi Kavita - Hindi Poem Dost Pyaar Man Hindi Poetry

MAN KI GUTTHI Ek dost ko dusre ke liyePyaar jatate huye dekha Ham bhi to dost hai uske To hamse kyu nahi jataya? Man ne man hi man socha Suljha kar is gutthi ko Man ne khud ko bola Kaise huyi teri himmat Jo tune aaj pyaar ko tola Fir man ne khud ko bola Umeed hai unse hame Tabhi to vo apne hai Hamne bhi unko lekar Sajaye kai sapne hai Aaya jawaab fir man ka khudko Pyaar ke badle pyaar milta To pyaar kyu badnaam hota Ye ek hi thodi hai duniya me Mat kar mehsus tu chota  —Shivam Bansal Copyright © Gold Poem

House wife ya kahu house manager - Hindi Kavita - Hard Working Mother’s- Poem on Mother - Maa ka lockdown

    House wife ya kahu house manager  सबके लिए लॉकडाउन था पापा , भाई और मेरे लिए, बस मां के लिए कुछ नया नहीं था और उन सभी हाउस वाइफ के लिए जो केवल सारा जीवन घर की 4 दिवारी में निकाल देती है। हम लोग मिस कर रहे थे , दोस्तों को , दफ्तर को, और मचल रहें थे बाहर जाने को पर मां ख़ुश थी  उनके सामने हम तीनों एक साथ थे , सन्डे सुबह जब सब आराम कर रहे थे तो रोज़ की तरह  सबसे पहले उठ कर वहीं रोज़ वाले काम कर रही थी  और ना जाने कितने सालों से बस यही रूटीन रखा हुआ है, उनकी लाइफ में तो वीकेंड आया ही नहीं।  सच में आप सभी हाउस वाइफ का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता आप लोगो ने मकान को घर बनाया है , अपने प्यार और मेहनत से सबको जोड़े रखा है ।  दिल से शुक्रिया।    -सिद्धार्थ श्रीवास्तव —Gold Poem 

मेरे कमरे की वो कुर्सी - The Chair of Room - Hindi Poem - Kavita - Gold Poem

मेरे कमरे की वो कुर्सी आज अचानक उस कुर्सी पर नजर पड़ी कपड़ों  से लदी हुई एक अजीब ईमारत बना दी हो जैसे  उसपे पता नहीं कितने समय से उसे उसके  परिवार से जुदा कर रखा है हमने । उसके साथ अक्सर भेद भाव करते है जब  जरूरत होती है तो उसपर से बोझ हटाकर हम  उससे उसका काम करवाते है और उसके अंदर  एक उम्मीद जगा देते है सब ठीक होने की ,फिर उठा कर उसी जगह ले आते है।  वहीं इमारत अलग तरह से बनाने के लिए,  वो निराश होकर फिर से वही रह जाती है  अपने परिवार से दूर ,उसी घर में लेकिन अलग , हम वहीं होते है  और फिर भूल जाते है उसे ठीक वैसा  ही इंसान का हाल होता है  किसी प्राइवेट कंपनी का पढ़ा लिखा मजदूर हो या किसी कॉलेज का वो एवरेज विद्यार्थी जिसके साथ  ऐसा होता है हम सब एक जैसे ही है "मतलबी " बस नजर घुमाने की जरूरत है ।  सिद्धार्थ श्रीवास्तव Copyright © Gold Poem 

गुरु पूर्णिमा पर कविता - गुरु पर कविता | Guru Poem in Hindi -Teacher Poem | Poem Of Apperception | Thank you Poem

Teacher Guru Poetry                           मां ने चलना सिखाया, तूने लिखना सिखाया, इसी पल जीने का सही तरीका सिखाया।   पिता ने मंजिल दिखाइए तो,   तूने मंजिल की राह दिलाई। एक अंधेरी मंजिल में खो गया था, उजाला बन के तू आया। इस सफर में तुझ पर गुस्सा तो बहुत आया पर, पता था कुछ करना पाऊंगा और, जिस दिन कर लिया उस दिन तू ने सिखाई संस्कार हो जाऊंगा।   याद है वह दिन मुझे उस दिन अच्छा काम मैंने किया था,     और तू उस दिन भी बे मुस्कुराया था,     दर्द हुआ था दिल में कि तू क्यों ना मुस्कुराया बाद में पता चला कि,     तू इतनी सी खुशी में खुश नहीं था,   तुझे कुछ बड़ा हासिल करवाना था।   मान उड़ गया था तुझसे शौक आने लगा था,   पर पता था इस सफर में तेरे से अच्छा कोई साथीदार मिलने वाला नहीं था। साल गुजर गया तू मुझसे खो गया ऐसा लगने लगा था पता नहीं था कि, अगले साल भी क्लास टीचर बन के तू ही आने वाला था।   अब स...

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