स्कूल का पेहला दिन था उसका,वो थोरी घबराई थी सब देख रहे थे उसको,नई थी और दूसरा थोरा लेट जो आई थी सब दौरे उसका नाम पूछने साथ मेरे भी दो यार जगये थे.... जब देखा था पेहली दफा उसे तभी हम अपना दिल हार गये थे चेहरे से मासूम थू बिल्कुल और बरी सिम्पल नज़र आती थी,जब भी हस्ती थी वो,तो उसकी cute सी डिंपल बन जाती थी.... उसे हसाने को अब मैं खुद का भी मज़्ज़ाक बनाता था,उसे जैसा पसन्द होता मैं बिल्कुल वैसा बन जाता था .... अब जो मैं कभी लेट जाता तो मेरे दोस्त खुद उठकर मुझे उसके साथ बिठाते थे.... यारों को तो छोर हाय दो,मुझे दूसरे भी उसके नाम से चिधाते थे बहुत दिन बीत चुका था अब वो खुद मेरे लिये अपने बगल में जगह बचती थी अब जब भी अचानक देखता उसको तो वो भी मुझे ही देखते नज़र आती थी अब लगता था जैसे मुझे ही नहीं उसे भी मुझ्से प्यार हो रहा था,हर बात बताती वो मुझको,अब शायद मैं उसका दिलदार हो रहा था.... मैनें अब ठान लिया उसे अपनी प्यार जतानी है,कुछ भी हो जाये उसे दिल की बात बतानी है उसे पसंद थी बनावटी चीजें मैंने उसके नाम का लव कार्ड बनाया था .... कुछ गर्बर ना हो जाये ...